शनिवार, फ़रवरी 10, 2018

इस तरह नाकाम हुए हैं हम...!!

इस तरह नाकाम हुए हैं हम
कि आदमी-ए-काम हुए हैं हम

दोपहर से जी भर जाए तो इधर आना
दोपहर से गुज़र कर शाम हुए हैं हम

रफ़्ता रफ़्ता रास्ते में हम रास्ते से हो गए
चलते चलते कुछ इस तरह तमाम हुए हैं हम

शहर में हर कोई अब हमको शायर कहता है
तेरे इश्क़ में यार ऐसा बादनाम हुए हैं हम

जो हमारा ज़िक्र छिड़ता है तो लोग तौबा करते हैं
जो मंज़िल तक न पहुँचा है ऐसा अंजाम हुए हैं हम

अनुराग अनंत

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