मयखाना क्या पिलाएगा, जो पीना चाहते हैं हम
मौत से कह दो, अभी और जीना चाहते हैं हम
जागते रहो की आवाज़ मुसलसल करते रहो तुम
जागते रहो की आवाज़ के बीच सोना चाहते है हम
पा लिया है इतना कि इसे अब कहाँ रखेंगे यार
जो कुछ भी पाया है, उसे फिर खोना चाहते हैं हम
होते होते अब तक कुछ भी हो नहीं पाए हैं हम
कुछ नहीं हो कर, 'कुछ नहीं' होना चाहते हैं हम
हंसी झूठी है जिसे लबों पर लिए फिरते हैं "अनंत"
झूठी हंसीं उतार कर सच में रोना चाहते हैं हम
अनुराग अनंत
मौत से कह दो, अभी और जीना चाहते हैं हम
जागते रहो की आवाज़ मुसलसल करते रहो तुम
जागते रहो की आवाज़ के बीच सोना चाहते है हम
पा लिया है इतना कि इसे अब कहाँ रखेंगे यार
जो कुछ भी पाया है, उसे फिर खोना चाहते हैं हम
होते होते अब तक कुछ भी हो नहीं पाए हैं हम
कुछ नहीं हो कर, 'कुछ नहीं' होना चाहते हैं हम
हंसी झूठी है जिसे लबों पर लिए फिरते हैं "अनंत"
झूठी हंसीं उतार कर सच में रोना चाहते हैं हम
अनुराग अनंत
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