गुरुवार, दिसंबर 07, 2017

जो खुद को इतना ऊंचा उठा रहे हो

जो खुद को इतना ऊंचा उठा रहे हो
तुम औरों को बौना बता रहे हो

बस तुम हो तुम ही तुम हो जहां में
ये अज़ब भरम है, जो जता रहे हो

आज तुम्हरा पता मिलता नहीं है
तुम एक अरसा मेरा पता रहे हो

साथ ऐसे थे कि समाए थे मुझमें
अब दूर ऐसे हो कि सता रहे हो

कि जिसने मुझको "मैं" किया है
तुम मेरी प्यारी ऐसी ख़ता रहे हो

-अनुराग अनंत

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