शनिवार, अक्तूबर 28, 2017

मेरे लबों पे ये जो मुस्कुराहट है..!!

मेरे लबों पे ये जो मुस्कुराहट है
ये मेरे भीतर की कड़वाहट है

मेरा लहज़ा जो लरजता रहता है
ये तेरे वापस आने की आहट है

मैं बात दर बात बदलता रहता हूँ
ना जाने कैसी अज़ीब घबराहट है

ये ना ग़ज़ल, ना नज़्म, ना कविता है
ये मेरे भीतर गूँजती बड़बड़ाहट है

'अनंत' तुम जिसे मेरा हुनर कहते हो
वो कुछ नहीं, बस एक छटपटाहट है

अनुराग अनंत

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