रविवार, मई 21, 2017

मैं तेरे दिल में रहूँगा, एक ख्याल की तरह...!!

मैं तेरे दिल में रहूँगा, एक ख्याल की तरह
मैं तेरे ज़हन से उठूँगा, एक सवाल की तरह

तू नहीं है मेरी ज़िन्दगी में तो क्या ग़म है
मैं तेरी ज़िन्दगी में रहूँगा एक मलाल की तरह

मैं इस तल्ख़ हक़ीक़त के सियाह चेहरे पर
अपने ख़्वाब मल रहा हूँ, गुलाल की तरह

तुम्हारी याद से बुनी शायरी की ये चादर
मैंने ओढ़ रखी है जिस्म पे खाल की तरह

लहू से लाल है मेरा  ये चाक़ जिगर
किसी आशिक़ के थप्पड़ खाए हुए गाल की तरह

ज़िन्दगी तुम्हारी यादों के क़दमों से यूं लिपटी रही
जैसे घोड़े के क़दमों में जड़ी हो नाल की तरह

उससे बिछड़ कर ज़िन्दगी यूं बसर हुई "अनंत"
ज्यों हर एक सांस गुजरी हो किसी बवाल की तरह

तुम्हारा-अनंत


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