बुधवार, अक्तूबर 19, 2016

ये सवाल मेरी जान भी ले सकता है...!!

ये सवाल मेरी जान भी ले सकता है
ये सवाल फकत कोई सवाल थोड़ी है

ये दिल की गिरह है, इश्क की जकड़न है
कच्चे धागों से बना कोई जाल थोड़ी है

याद उसकी बेसब्री का सबब है लेकिन
आशिक परेशान है बेहाल थोड़ी है

होता है इश्क में  अक्सर हो गया फिर से
मेरी आशिक़ी तेरे हुस्न का कमाल थोड़ी है

आजिज़ आ गया हूँ अपने दिल से "अनंत"
पर दिल, दिल ही तो है, कोई बवाल थोड़ी है

तुम्हारा-अनंत