शनिवार, अप्रैल 30, 2016

ये जुमलों की महारत है, कुछ और नहीं...!!

ऐ मेरे दिल-ए-नादां, तू यूं खुश न हो
ये जुमलों की महारत है, कुछ और नहीं

ये जो उनकी चटक सुनहली तकरीरें हैं
ये ख्वाबों की तिजारत है, कुछ और नहीं

वो हमें बस एकलव्य, सम्भूक समझते हैं
ये रामायण, महाभारत है, कुछ और नहीं

ये जो काले दस्तूर, ये जेलें, ये जिन्दानें हैं
ये हमसे उनकी हिकारत है, कुछ और नहीं

वो जो चाहें कहें इसे, उनकी अपनी मर्ज़ी है
ये तेरा-मेरा, हमारा भारत है, कुछ और नहीं

अनुराग अनंत

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