बुधवार, अप्रैल 06, 2016

हमने खुद को खूब बर्बाद किया

कुछ मेरी राहें भी दुश्वार रहीं
कुछ हमराही ने भी न साथ दिया

बस कुछ ऐसा सफ़र कटा मेरा
जैसे किसी ने नसों को काट लिया

वो जिससे मैंने कभी न जीतना चाहा
बस उसी ने अक्सार मुझको मात दिया

ये जिंदगी जैसे-तैसे बसर हुई मेरी
रात को दिन, दिन को रात किया

वो संगदिल, पत्थर का बना हुआ
उससे रोया, उससे फ़रियाद किया

संग उसके हम जो न आबाद हुए
हमने खुद को खूब बर्बाद किया

कोई पूछे जिंदगी में क्या हुआ अनंत
वो हमको भूले, हमने उनको याद किया

--अनुराग अनंत

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