मंगलवार, अक्तूबर 13, 2015

क्या कहें कहने पर रुसवाई तो होगी..!!

क्या कहें कहने पर रुसवाई तो होगी
तुम्हे याद हमारी कभी आई तो होगी

कल हम तुम्हारा नाम लेकर मर गए हैं
ये बात तुम्हे हवाओं ने बताई तो होगी

वो ग़ज़ल जो हमने सिर्फ तुमपे लिखी थी
कभी तुमने भी अकेले में वो गाई तो होगी

हमने छुपाए हैं अपने सब दर्द तुमसे
तुमने भी कोई बात हमसे छिपाई तो होगी

शब-ए-फुरकत पे इन आँखों ने समंदर बहाया
तुम्हारी आँखों ने भी एक नदी बहाई तो होगी

तुम्हारी आवाज है इस दिल में अबतक बाकी
हमारी हँसी भी थोड़ी तुममे समाई तो होगी

तुम्हारा-अनंत 

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