बुधवार, दिसंबर 24, 2014

देह को बेदी करके हमने, रूह का हवन किया है..!!

तुझे भुलाने को हमने क्या क्या जतन किया है
देह को बेदी करके हमने, रूह का हवन किया है

सांस-सांस मरघट बोला है, धड़कन में अवसाद हंसा है
जिन यादों ने मुझको मारा, उनको खुद में दफ़न किया है

तुझको ओढा था, तुझे बिछाया, पहरन, गहना तुझे बनाया
तेरे जाने के बाद हमने, दिल के सूनेपन को कफ़न किया है

तूने जब जब हम पर वार किया, हमने हंस कर टाल दिया है
ए कातिल तेरे हर वार का हमने, अपने दिल पर वरन किया है

अश्क हमारे बेबस ठहरे, कुछ कह न पाए, रह रह ढुलके
दर्द जो गहराया दिल में तो हमने उसको सुखन किया है

-अनुराग अनंत

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